देश हमें देता है सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखे

देहरादून: जिस प्रकार एक जलधार पर्वत के बड़े हिस्से पर गिर-गिर कर उसे शालिग्राम जैसा पवित्र बना देती है उसी प्रकार हम समाज को पवित्र बनाए रखें ऐसा हमारा प्रयास है !इस प्रकार की भावना से ओतप्रोत( सेवा बैंक )के सेवादार संदीप गुप्ता ने एक ऐसे जीवंत वाक्या से अवगत कराया जो कि बहुत ही मर्मस्पर्शी एवं समाज के लिए एक बड़ा उदाहरण है!
रोजमर्रा की तरह अपनी मोटरसाइकिल पर घर से निकले सेवादार ने आधा रास्ता भी तय नहीं किया था कि अधिक कोहरा होने के कारण गाड़ी धीरे धीरे चल रही थी! रास्ते में कुछ छोटे स्कूली बच्चे चले जा रहे थे जिनके कंधे पर स्कूली बैग तो लटका दिखा परंतु स्वेटर किसी एक आध नहीं पहना हुआ था! वह भी फटा पुराना सा दिसंबर माह के इस दृश्य ने पूरे दिन सेवादार के मन को विचलित रखा मन में कभी कुंठा का ऐसा भाव आता अभावग्रस्त जैसे प्रश्नों का जवाब खोजने में मन उलझ गया! पल भर में सब कुछ भूल कर सामान्य सा देखने का कई बार प्रयास किया परंतु जैसे-जैसे दिन शाम रात की ओर बढ़ रही थी फिर वही दृश्य शरीर को चीरता हुआ सामने आ खड़ा हो रहा था! उस रात मानो नींद पर किसी ने पहरा लगा दिया हो मन में निरंतर वही चल रहा था वही बच्चे वही शब्द सुबह बिना ऊनी वस्त्रों के चले जा रहे !यकायक मानो सामने आकर खड़े हो रहे हो सामान्य मनुष्य साधारण सोच संवेदना ही व्यक्त कर सकती है !परंतु वह इसको स्वीकार करने के लिए कतई तैयार नहीं थे मन में प्रबल इच्छा शक्ति सुप्त पड़ी गति को हवा दे रही थी! एक-दो दिन बीत जाने पर परिवार इष्ट मित्रों से बात की तो किसी ने सरकार किसी ने सरकारी अधिकारियों से बात करने की सलाह दी परंतु हासिल कुछ नहीं हुआ!
अगले दिन भगवान को नमन कर अपनी चर्चा यात्रा उन्होंने आरंभ कर दी पर लगा घनघोर अंधेरा है नाराज सवेरा है कोई किरण तो आए कहीं से अपने ही एक अभिन्न मित्र से अधिक से अधिक लोगों से संपर्क में बात करने को कहा चर्चा करने का मन तो हुआ परंतु यह काफी नहीं था! यकायक उनके मन में विचार आया कि यह सेवा कार्य कैसे होगा !उनका परिवार भी उनके असहज व्यवहार को अस्वीकार करने लगा था जब भी निराश होते हमेशा ईश्वर में पूर्वजों को याद कर अपनी नीति व नीयत दोनों को साझा करते समाज परिवर्तन ,फिर व्यवस्था परिवर्तन, और इन में परिवर्तन की तैयारी सहज कार्य नहीं था! अब संपर्क करने का क्रम और तेज हो गया! इस क्रम में एक सज्जन से उनकी मुलाकात हुई जो हर वर्ष अपने पूर्वजों की याद में गरीबों को कंबल आदि वितरण करते थे! उन्होंने विनम्रता से सरकारी प्राइमरी स्कूल के बच्चों का जिक्र किया है और चर्चा के दौरान उनसे कहा कि गरीब की सही पहचान सरकारी स्कूल मैं हीं हो सकती है इस पर उन्होंने सेवादार के आग्रह को स्वीकार कर लिया !और विद्यालय के बच्चों को स्वेटर देने में लगने वाली धनराशि की पेशकश की सेवादार ने विद्यालय में संपर्क करने का विषय रखा और रात को करवट बदल बदल कर सुबह का इंतजार करने लगे! स्वयं को निमित्त मात्र का भाव मानकर विद्यालय पहुंचे विद्यालय की शिक्षिका को पूरा विषय बताया पूरा विषय सुनने के बाद शिक्षिका का यही सवाल था कि आप कौन से एनजीओ से हैं! उत्तर में कहा गया हम एनजीओ से नहीं हैं!
सेवादार के द्वारा शिक्षिका महोदय को  अपने सामूहिक प्रयास के बारे में विस्तार से बताने पर उनके भाव में परिवर्तन आ गया उनको बताया कि यह दान नहीं सहयोग है क्योंकि यह भी हमारे समाज के बच्चे हैं “वसुदेव कुटुंबकम” आखिर वह दिन आ ही गया विद्यालय के सभी बच्चों को स्वेटर दिए गए साथ गए श्रीमान और उनका परिवार बड़ा ही खुश था और बच्चे मानो सातवें आसमान पर हो यहां तक का सफर पूरा करने के बाद सेवादार का जुनून सिर उठाने लगा फिर संपर्क और समाज में चर्चा और अब एक मानव श्रृंखला के माध्यम से सहयोग लेना प्रारंभ किया गया !सेवा बैंक के अभियान का दूसरा चरण रानीपोखरी का प्राथमिक सरकारी विद्यालय था जिसमें कुछ नए साथियों के साथ कार्यक्रम में स्वेटर का सहयोग किया गया
अब वह समय आ ही गया जब यह विषय समाज में व्यापकता से खेल रहा था कहते हैं कि कार्य में पवित्रता हो तो उसने ईश्वरीय शक्तियों का वास हो जाता है वह पवित्रता इतनी प्रभावी होती है कि जो भी संपर्क में आता है उसका भी सेवा भाव जग जाता है !वर्ष 2016 को सेवादारों की सामूहिक प्रयास से सेवा बैंक का गठन हुआ और सेवा कार्यों का संचालन अब इस माध्यम से होने लगा !सेवा बैंक मैं व्यवस्था पक्ष की चिंता करते हुए यह तय किया कि अब सेवादार स्वेटर सहयोग कार्य में किसी राजनीतिक दल को शामिल नहीं करेंगे !हालांकि उनसे कोई द्वेष नहीं है! बस उनके साथ रहने से कार्य की दिशा और दशा बदल जाती है! साथ ही विद्यालय में सहयोगी महानुभाव का परिचय में भाषण धन्यवाद के स्थान पर केवल भारत माता की जय का उद्घोष ही सारे विषय का मूल सेवा सार प्रकट करेगा !सेवा बैंक के लिए जो कोई सहयोगी एक दो या तीन स्वेटर के पैसे देगा ऐसे छोटे-छोटे सहयोग से बड़े मन का भाव बनता है !और अहंकार का नाश होते हुए मैं नहीं हम का भाव निर्माण होता है! सेवा बैंक द्वारा चलाया जा रहा यह अभियान अब तक 25 सरकारी विद्यालय में जैसे सुंदरवाला ,देहरादून, रानीपोखरी ,इठारना ,मद्रासी गांव ,फनवैली, लालतप्पड़ ,डोईवाला ,कुठारगेट, सकलाना पट्टी, टिहरी गढ़वाल, धौलाधार ,गैरसैण ,विकासखंड चमोली ,थैलीसैण ,पौड़ी गढ़वाल, सिंगरौली हिल, बीजापुर डैम, राजपुर ,मोहकमपुर चकराता, लवाणी ,लछीवाला शामिल है


और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि सेवा बैंक जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक सेवा संगठन का कोई अध्यक्ष महामंत्री पदाधिकारी कर्मचारी नहीं है सेवा बैंक सामाजिक संगठन के सभी सदस्य भारत माता को समर्पित निष्काम सेवा भाव से कार्य कर रहे हैं