ब्रह्म की प्राप्ति भ्रम की समाप्ति

ब्रह्म की प्राप्ति भ्रम की समाप्ति



 


देहरादून : जब तक जीवन में सद्गुरु का पदार्पण नहीं होता है तब तक इंसान ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति नहीं कर पाता उक्त आशय के विचार सन्त निरंकारी मण्डल के तत्वाधान में आयोजित रविवारीय सत्संग कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्थानीय ज्ञान प्रचारक पूज्य मंशाराम खंडूरी जी ने आयी हुई साध संगत को सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का आशीर्वचन प्रदान करते हुए व्यक्त किये।


उन्होंने आगे कहा कि जब तक कोई सोया रहता है तब तक उसे पाता ही नहीं चलता कि संसार में क्या हो रहा है इसी प्रकार मोह रात्रि में सोया हुआ जीव तब तक वास्तविकता से दूर ही रहता है जब तक उसकी नींद नहीं टूटती और वह आँखें खोल कर नहीं देखता कि वास्तविकता क्या हैघ् आँखें बंद रहने में और आंखें खुलने में जितना अंतर है उतना ही अंतर ब्रह्म को जानने और न जानने में है आँखें खुलना मनो ज्ञान दृष्टि से परमात्मा को देखना है और आँखें बंद रहना मनो ज्ञान दृष्टि से रहित होकर मोह रात्रि में सोये रहना है भौतिक जगत की चकाचौंध में परमात्मा को न देखना ही भूले रहना है मनुष्य का सबसे बड़ा शुभचिंतक वह महात्मा होता है जो उसे ब्रह्मानुभूति करा कर जगा देता है और उसके सभी दुखों चिंताओं और आपत्तियों का अंत कर देता है


उन्होंने आगे कहा कि जिन्हें सत्संग पसन्द है, उनके जीवन में आनन्द ही आनन्द है। सत्संग में परमात्मा की पहचान कर मानव इसे अंग-संग देखकर जीवन के अन्दर प्रेम, नम्रता, मिलवर्तन के गुणों को उजागर करता है। हर मानव के जीवन में भक्ति के भाव उजागर हो और निरंकार के प्रति प्रेम उत्पन्न कर वह मानव कल्याण के कार्यों में निरन्तर सहभागी बने।


सत्संग समापन से पूर्व अनेकों प्रभु-प्रेमियों, भाई-बहनों एवं नन्हे-मुन्ने बच्चों ने गीतों एवं प्रवचनों के माध्यम से सत्गुरु के चर्चे सुनाएं। वहीं सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के तराने सुनकर संगत निहाल हुई। मंच का संचालन पूज्य सुनील जी जी ने किया।